देहरादून। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शनिवार को राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अन्तर्गत 100 दिवसीय टी.बी उन्मूलन अभियान के सम्बन्ध में बैठक की। उक्त बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दून विश्वविद्यालय, देहरादून से वर्चुअल रूप में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का आभार व्यक्त करते हुए वृहद 100 दिवसीय टी.बी उन्मूलन अभियान हेतु उनके मार्गदर्शन को महत्वपूर्ण बताया। मुख्यमंत्री ने बैठक में अवगत करवाया कि राज्य के 13 में से 8 जनपद 100 दिवसीय टी.बी उन्मूलन अभियान हेतु चिन्हित हैं। राज्य के सभी जनप्रतिनिधि, उद्योगपति, अधिकारी एवं आमजन भी इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़ कर भागीदारी निभा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में सभी के सहयोग से अब तक 23800 टीबी मरीजों को निक्षय मित्रो द्वारा गोद लिया गया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने हैन्डहेल्ड मोबाइल एक्स-रे मशीनों की पर्याप्त व्यवस्था कर ली है। राज्य के पास कुल 33 हैन्डहेल्ड मोबाइल एक्स-रे मशीनें उपलब्ध हैं। राज्य के पास 131 नॉट मशीने भी हैं, तथा सभी ब्लॉक में कम से कम 01 मशीन उपलब्ध है। राज्य में स्क्रीनिंग और टेस्टिंग बढ़ाने पर भी लगातार जोर दिया जा रहा है। इस अभियान के दौरान 8 जनपदों में कुल 25 निःक्षय वाहन तैनात किए गए हैं। निःक्षय वाहन का उपयोग समुदाय को जागरूक करने और शिविर स्थल पर एक्स-रे के लिए किया जा रहा है। इस अभियान के तहत टी.बी. के प्रति संवेदनशील आबादी की जांच के लिए आयुष्मान आरोग्य मंदिर, कार्यस्थल, जेल, वृद्धाश्रम और अन्य चिकित्सा इकाईयों जैसे सामूहिक स्थानों पर शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा से टीबी उपचार संबंधित औषधियों को उपलब्ध करने का आग्रह किया, जिस पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया।
गौरतलब है कि 100 दिवसीय टी.बी. उन्मूलन अभियान के अन्तर्गत भारत के 347 उच्च फोकस जिलों को चयनित किया गया है। इस अभियान के लिए उत्तराखण्ड राज्य के आठ जनपदों (बागेश्वर, चमोली, चंपावत, देहरादून, नैनीताल, पौड़ी पिथौरागढ़ और रुद्रप्रयाग) को चयनित किया गया है। इस अभियान का उद्देश्य टी०बी० के प्रति संवेदनशील आबादी (मधुमेह रोगी, कुपोषित, धूम्रपान करने वाले, शराब पीने वाले, पिछले टीबी के मामले, संपर्क, एचआईवी से पीड़ित लोग आदि) की स्क्रीनिंग किया जाना, तत्पश्चात टी०बी० से ग्रसित रोगियों को समयार्न्तगत उपचार उपलब्ध कराना है। इन शिविरों में संवेदनशील आबादी की स्क्रीनिंग की जा रही है। जिसके अन्तर्गत पोर्टेबल हँडहेल्ड एक्स-रे मशीन द्वारा शिविर स्थल पर ही उन लोगों का एक्स-रे किया जा रहा है। यदि शिविर स्थल पर एक्स-रे सुविधा उपलब्ध नहीं है, तो चिन्हित व्यक्तियों का एक्स-रे नजदीकी चिकित्सा इकाई पर किया जा रहा है। एक्स-रे के पश्चात, यदि व्यक्ति को टी०बी० होने का संदेह है, तो उसे न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट (नॉट) के लिए संदर्भित किया जा रहा है।