हरित हाइड्रोजन के उत्पादन की ओर टीएचडीसीआईएल ने बढ़ाया कदम

ऋषिकेश। भारत सरकार के ’’राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन ’’ के अन्तर्गत अग्रणी भागीदारी दर्ज कराते हुए टीएचडीसी ने अपने ऋषिकेश स्थित परिसर में 50ज्ञह प्रतिदिन हरित हाइड्रोजन उत्पादन एवम भंडारण तथा भंडारित हरित हाइड्रोजन द्वारा ऊर्जा उत्पादनध्विद्युत उत्पादन की परियोजना की शुरूआत कर दी है। टीएचडीसी द्वारा परियोजना स्थापित करने के लिए खुली निविदा प्रक्रिया के तहत कार्यदायी संस्था का चयन भी किया जा चुका है। इस हेतु कार्यदायी संस्था को ’’लेटर ऑफ अवार्ड ’’(एलओए) पांच जनवरी को जारी किया गया। परियोजना से नौ महीने के समय अन्तराल में हरित हाइड्रोजन का उत्पादन चालू हो जायेगा। परियोजना की लागत 10 करोड रूपये है। हरित हाइड्रोजन उत्पादन हेतु इनपुट पावर परिसर में पहले से स्थापित 1 मेगावाट क्षमता के रूफटॉप सोलर पावर प्लांट  से ली जायेगी। परियोजना द्वारा उत्पादित हरित हाइड्रोजन का उपयोग टीएचडीसी  परिसर को प्रकाशित करने में किया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि यह परियोजना अपनी तरह में देश की सबसे बड़ी और सर्वप्रथम परियोजनाओं में से एक है। हरित हाइड्रोजन भविष्य के लिए एक संभाव्य स्वच्छ ईधन है जिसका उपयोग रिफाइनरी उद्योग, फर्टिलाइजर उद्योग, ऊर्जा ध्विद्युत उत्पादन ,परिवहन वाहनों इत्यादि में ईधन के रूप  में होता है। इस तरह के प्रोजेक्ट देश में हरित हाइड्रोजन के विकास व उपयोग को बढावा देने का मार्ग प्रशस्त करेंगें तथा वर्ष 2070 तक नेट जीरो कार्बन जैसे महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने में मील का पत्थर साबित होगें। टीएचडीसी इस परियोजना से प्राप्त हुए अनुभव का उपयोग देश में ’’हरित हाइड्रोजन इकोनॉमी  ’’के विकास हेतु करेगा। टीएचडीसीआईएल भारत की अग्रणी विद्युत उत्पादन कंपनियों में से एक है। टिहरी बांध एव एचपीपी (1000 मेगावाट ) ,कोटेश्वर एचईपी (400 मेगावाट) गुजरात के पाटन में 50 मेगावाट एवं द्वारका में 63 मेगावाट की पवन विद्युत परियोजनाओं , उतर प्रदेश के झांसी में 24 मेगावाट की ढुकवां लद्यु जल विद्युत परियोजना एंव कासरगॉड केरल में 50 मेगावाट की सौर परियोजना के साथ टीएचडीसीआईएल की कुल संस्थापित क्षमता 1587 मेगावाट हो गई है।