देहरादून। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से निरंजन फार्म, दून यूनिवर्सिटी रोड, देहरादून में आयोजित सात-दिवसीय भगवान शिव कथा के चतुर्थ दिवस माता पार्वती के जन्मोत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया गया। कथा का वाचन करते हुए डॉ. सर्वेश्वर ने बताया कि महाराज हिमवान व महारानी मैना ने आदिशक्ति जगदंबिका की 27 वर्षों तक आराधना कर उन्हें पुत्री स्वरूप में पाने का वरदान माँगा। माता सती, जो देह त्याग से पहले भगवान शिव से यह प्रार्थना करती हैं कि मैं अगले जन्म में आपकी ही सेविका बनकर जन्म लूँ। उसी प्रार्थना के फलस्वरूप माता सती, पार्वती के रूप में महाराज हिमवान के घर कन्या बन जन्म लेकर आई।
स्वामी जी ने बताया कि यह भारतीय संस्कृति का कितना अद्भुत पक्ष है, जहाँ पुत्री के जन्म के लिए 27-27 वर्षों तक की लम्बी व घोर तपस्याएँ की जाती थीं। लेकिन एक आज का भारत है जहाँ नारी की दशा इतनी शोचनीय व दयनीय है कि बेटी के जन्म लेते ही माता-पिता के माथे पर चिंता की रेखाएं खींची जाती हैं। आज हर दिन नारी शोषण, बलात्कार, घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न की घटनाओं से समाचार पत्र अटे रहते हैं। चाहे वो दिल्ली का ‘निर्भया कांड’ हो या ‘कोलकता रेप कांड’, ये सब दर्शाते हैं कि आज का समाज कितना गिर गया है जो नारी को केवल मात्र भोग की वस्तु मानता है। यूँ तो हम हर साल नवरात्रों के समय नन्हीं कंजकों को माँ का रूप मान कर उनकी पूजा करते हैं, लेकिन सड़क पर चल रही बच्ची में हमें उसी माँ का शक्ति रूप क्यों नहीं नजर आता? आज हमें यह समझना ही होगा कि नारी भोग्या नहीं, शक्ति स्वरूपा है। वो अबला नहीं, सबला है। समापन पर महामंगल आरती का आयोजन हुआ जिसमें उपरोक्त अतिथियों के साथ-साथ यजमानों द्वारा भी भाग लिया गया। तत्पश्चात! प्रसाद का वितरण करते हुए चतुर्थ दिवस की भगवान शिव कथा को विराम दिया गया।