धरती का स्वर्ग #पंवाली #कांठा, यहां से होते हैं हिमालय पर्वतमाला के मनोरम दर्शन

देहरादून। पंवाली कांठा बुग्याल टिहरी जिले में स्थित सर्वश्रेष्ठ ट्रेक में से एक है। इस बुग्याल से हिमालय पर्वतमाला के मनोरम दर्शनों के साथ-साथ यमुनोत्री-गंगोत्री-केदारनाथ-बदरीनाथ पर्वत शिखरों के दर्शन भी होते हैं। पर्यटकों के बीच पंवाली काँठा से सूर्यास्त देखने का एक विशेष आकर्षण रहता है। पंवाली कांठा बुग्याल घनसाली क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यह ट्रेक गंगोत्री से केदारनाथ के प्राचीन धार्मिक मार्ग पर पड़ता है। इस ट्रेक से दूरस्थ गाँवों एवं गढ़वाल के जीवन को देखा जा सकता है। ट्रेक में जगह-जगह चरवाहे दिखाई देते हैं जो शिवालिक रेंज और हिमालय के बीच निवास करते हैं। पंवाली काँठा ट्रेक घुत्तु से प्रारम्भ होकर सोनप्रयाग, त्रियुगी नारायण तक पूरा होता है।
इस ट्रेक को घुत्तु से आगे उत्तरकाशी के लाटा नामक स्थान तक जाने हेतु भी प्रयोग किया जाता है। प्राकृतिक परिदृश्यों एवं अपेक्षाकृत कम ऊंचाई होने के कारण यह एक सुखद ट्रेक है। उत्तरी गढ़वाल हिमालय में स्थित पंवाली काँठा के घास के मैदान कई जंगली जानवरों का घर भी है। इस क्षेत्र में पर्यटकों को भरल (नीली भेड़) घोरल, हिमालयी भालू, दुर्लभ कस्तूरी मृग आदि को देखने को मिल सकते है। पंवाली कांठा ट्रेक में प्रभावशाली दृश्य विविध परिदृश्यों और अत्यधिक सुंदरता के साथ दृश्य अद्भुत हैं और पंवाली कांठा को एक आदर्श ट्रेक बनाते हैं। यहां से कई हिमालय पर्वतमालाएं देख सकते हैं जिनमें से कुछ पहाड़ियां हैं केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री चोटियां शामिल हैं। ट्रेक के दौरान चैखम्बा, केदार, माउंट मेरु, नीलकंठ और बहुत कुछ देख सकते हैं। यहां एक ही स्थान पर बहुत सारे खगोलीय पिंड देखने को मिलते है, जैसे हिमालय पर्वतमाला का मनोरम दृश्य, घास के मैदान, झीलें, देवदार के जंगल, विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ और जीव-जंतु जो प्रामाणिक गढ़वाली विरासत और संस्कृति घुत्तु गाँव श्रृंखला से आगे निकल जाते हैं। एडवेंचर स्पोर्ट्स की अपार संभावनाओं से भरा पंवाली कांठा टिहरी जनपद मुख्यालय से 110 किमी की दूरी पर है और घुत्तू से 13 किमी की पैदल दूरी पर है। यहां चारों ओर से हिमालय के दर्शन तथा बीच में उपस्थित यहां हरे-भरे वनोंे से ढका हुआ मैदान मन को मुग्ध कर देता है। दूर दूर तक फैला हुआ मैदान और चारों तरफ पहाड़ियों से घिरा हुआ हिमालय ऐसा लगता है मानो जैसे कि हम कहीं स्वर्ग के रास्ते में हों और कोई नहीं हमारे साथ हम अकेले इस मनमोहक स्वर्ग में घूम रहे हो और आनंदित मन से इस प्राकृतिक सौंदर्य का एहसास कर रहे हों।