देहरादून। नैसृगिक प्राकृतिक खूबसूरती के कारण औली हिल स्टेशन को भारत का ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ भी कहते हैं. गढ़वाल क्षेत्र के चमोली जिले में स्थित यह हिल स्टेशन सुमद्र तल से 3,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां से टूरिस्ट कई पर्वत श्रृंखलाओं को देख सकते हैं. औली से पर्यटक नंदा देवी पर्वत, नागा पर्वत, डूंगगिरी, बीथरटोली, निकांत हाथी पर्वत और गोरी पर्वत को देख सकते हैं. गर्मियों में औली बड़ी तादाद में टूरिस्ट ट्रैकिंग के लिए आते हैं. यहां औली से जोशीमठ का ट्रेक सबसे लोकप्रिय है. बड़ी संख्या में स्कीइंग गतिविधि के लिए भी टूरिस्ट इस हिल स्टेशन की सैर करते हैं. यहां टूरिस्ट नवंबर से मार्च तक स्कीइंग कर सकते हैं. इसके अलावा, पर्यटक औली में पैराग्लाइडिंग भी कर सकते हैं. औली के पास कई तीर्थस्थल हैं जिनमें आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्तली जोशीमठ, नंदप्रयाग और रुद्रप्रयाग है।
समुद्र तल से 23490 फीट ऊपर स्थित त्रिशूल पर्वत औली का प्रमुख आकर्षण है. इस पर्वत का नाम भगवान शिव के त्रिशूल से लिया गया है. नंदा देवी भारत का सबसे ऊंचा पर्वत है जिसकी ऊंचाई 7,817 मीटर है. इस चोटी को घेरे हुए नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान भी है जहां पर्यटक जा सकते हैं. औली में टूरिस्ट आर्टिफिशियल लेक भी देख सकते हैं. यह दुनिया की सबसे ऊंची मानव निर्मित झीलों में से एक है. जोशी मठ औली से 12 किलोमीटर की दूरी पर है. यह बद्रीनाथ और फूलो की घाटी का प्रवेशद्वार माना जाता है. जोशीमठ शहर को ‘ज्योतिर्मठ’ के नाम से भी जाना जाता है. यहां पर शंकराचार्य का मठ और अमर कल्प वृक्ष है. माना जाता है कि यह वृक्ष लगभग 2,500 वर्ष पुराना है. टूरिस्ट औली सड़क, रेलवे और हवाई मार्ग से पहुंच सकते हैं. हवाई मार्ग से जाने के लिए पर्यटकों को जॉली ग्रांट हवाई अड्डे पर उतरना होगा और इससे आगे की दूरी टैक्सी या बस से करनी होगी. इसी तरह से ट्रेन से यहां जाने वाले पर्यटकों को ऋषिकेश रेलवे स्टेशन उतरना होगा और आगे की दूरी बस या फिर टैक्सी से करनी होगी. सड़क मार्ग से औली सभी प्रमुख राज्यों और शहरों से जुड़ा हुआ है. यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।