देहरादून। उत्तराखंड में एलयूसीसी घोटाले से पीड़ित 25 लाख लोगों को सरकार से इंसाफ की दरकार है। एलयूसीसी चिटफंड फ्रॉड मामले के पीड़ितों ने देहरादून के एकता विहार में आमरण अनशन शुरू किया है। पीड़ितों ने सरकार से न्याय की मांग करते हुए एलयूसीसी चिटफंड फ्रॉड मामले में बड़े एक्शन की मांग की है। लोनी अर्बन मल्टी स्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट कोऑपरेटिव सोसाइटी यानी एलयूसीसी उत्तराखंड का अब तक के सबसे बड़े घोटालों में से एक है। इसमें 25 लाख से अधिक लोगों के तकरीबन 100 करोड़ रुपए ठगे गये हैं। इस पूरे मामले में उत्तराखंड सरकार ने सख्ती दिखाते हुये विजिलेंस जांच की। पुलिस ने 10 अलग-अलग मामलों में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की। इस मामले में कोर्ट की तरफ से आरोपियों को नोटिस भेजे जा चुके हैं। इस मामले में कई लोग अन्य प्रदेशों से भी हैं। जिसके कारण सरकार की तरफ से इसकी जांच सीबीआई को सौंपने की तैयारी की गई।
निदेशक विजिलेंस भी मुरुगेशन ने बताया इस मामले को लेकर प्रदेश सरकार ने सीबीआई को जांच सौंपने को लेकर नोटिस जारी कर दिया है। अभी केंद्र से नोटिस पेंडिंग है। उन्होंने बताया उत्तराखंड पुलिस की जांच अभी जारी है। इस मामले में दोषी पाए गए लोगों को अरेस्टिंग की कार्यवाही जारी है। उत्तराखंड में लोनी अर्बन मल्टी स्टेट एंड थेफ्ट कोऑपरेटिव सोसाइटी ने विभिन्न जिलों में लगभग 37 शाखाएं खोली गई। ये कृषि अधिनियम 12 अक्टूबर 2012 में पंजीकृत संख्या एमएससीएससी आर6392012 के अंतर्गत पंजीकृत थी।
एलयूसीसी को उत्तराखंड प्रदेश में लाने वाले गिरीश चंद्र बिष्ट निवासी ग्राम पिंगला कोर्ट थाना कौसानी जिला बागेश्वर हैं। उत्तराखंड में एलयूसीसी ने दो डायरेक्टर और 37 ब्रांच मैनेजर अलग अलग जिलों में नियुक्त किये। जिनमें से ज्यादातर पहाड़ी जनपदों में थी। एलयूसीसी के विज्ञापनों एवं मीटिंग में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री की फोटो और फिल्म अभिनेता, अभिनेत्री के फोटो इस्तेमाल किए गए। बड़े-बड़े सेमिनार प्रदेश में आयोजित किए गए। ज्यादा रिटर्न का लालच दे कर कंपनी में करोड़ों रुपए का इन्वेस्टमेंट करवाया। डायरेक्टर ब्रांच मैनेजर ने 29 सितंबर 2024 में अपनी अपनी ब्रांच बंद कर दी। जिसके बाद इस कंपनी के सभी इन्वेस्टर टेंशन में आ गये। इसके बाद धीरे धीरे पहाड़ी जिलों से भी इस तरह की खबरें आने लगी।
रुद्रप्रयाग जिले से एलयूसीसी पीड़ित महिला रोशनी गौड़ ने बताया इस कंपनी ने पूरे प्रदेश में अपने 25000 एजेंट बनाए। जिन्होंने तकरीबन 25 लाख लोगों के पैसे का इन्वेस्टमेंट करवाया। उन्होंने बताया इस कंपनी में लोगों ने 2016 से इन्वेस्टमेंट करना शुरू कर दिया था। जिसके लिए प्रदेश के अलग-अलग जिलों में 35 ब्रांच खोली गई थी। उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग 8 राज्यों में इसने इन्वेस्टमेंट और हाई रिटर्न के वादे कंपनी ने किये।
यह कंपनी कृषि मंत्रालय के अंतर्गत रजिस्टर्ज थी। जीएसटी सहित और सभी अधिकृत दस्तावेज उस समय इस कंपनी के पास थे। यह घोटाला मात्र एक राज्य का नहीं है बल्कि पूरे देशभर में है। आठ राज्यों में इस कंपनी के घोटाले का जाल फैला है। इसका मालिक समीर अग्रवाल अभी दुबई बैठा हुआ है। मैनें खुद 60 लाख का इन्वेस्टमेंट इस कंपनी में किया है।
उत्तराखंड में अब धीरे-धीरे एलयूसीसी पीड़ितों का सब्र का बांध टूटने लगा है। पिछले लंबे समय से पीड़ित धरना प्रदर्शन कर न्याय की मांग कर रहे हैं। इस पर सरकार ने भी एक्शन जरूर लिया गया, लेकिन, उसके बावजूद भी पीड़ितों का कहना है कि सरकार प्रभावी ढंग से कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। अब सभी पीड़ित मिलकर देहरादून एकता विहार में धरना प्रदर्शन कर आंदोलन को नया स्वरूप देते हुए आमरण अनशन की ओर आगे बढ़ रहे हैं। एलयूसीसी में 22 लाख का इन्वेस्ट किया है। जिसमें से 6 लाख मेरे अपने हैं। बाकी नाते रिश्तेदारों और परिचितों से इन्वेस्ट करवाया है।अब सरकार को इस मामले में न्याय करना चाहिए।
एलयूसीसी पीड़ितों का कहना है कि इस मामले में इसलिए कार्रवाई नहीं हो पा रही है क्योंकि इसमें कुछ बड़ी मछलियों का हाथ हो सकता है। एलयूसीसी पीड़ित महिला रुद्रप्रयाग से आने वाली बबीता भट्ट ने बताया उनका 35 लाख खुद का इस कंपनी में लगा हुआ है। उनकी पूरी टीम ने एक करोड़ 89 लाख इस कंपनी में लगाये हैं। उन्होंने कहा जिस तरह से लगातार इस मामले की जांच लटक रही है इससे साफ पता चलता है कि कहीं ना कहीं इस मामले में राजनीतिक शय दी जा रही है। कांग्रेस प्रवक्ता प्रतिमा सिंह ने कहा भारतीय जनता पार्टी की सरकार की नाक के नीचे इतना बड़ा घोटाला हो जाता है। हजारों गरीबों का पैसा लूटा जाता है। इससे बड़ा सरकार का फेलियर कुछ नहीं हो सकता है। कांग्रेस ने एलयूसीसी मामले को बीजेपी संरक्षण का आरोप लगाया।